पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१२०

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इन्द्रजीतसिंह––आज पुनः आपसे मुलाकात होने की आशा तो न थी।

दारोगा––बेशक मुझे भी इस बात का गुमान न था परन्तु एक आवश्यक कार्य के कारण मुझे आप लोगों की सेवा में उपस्थित होना पड़ा। क्षमा कीजिएगा जिस समय आप कमन्द के सहारे उस बाग में उतरे थे उस समय मुझे इस बात की कुछ भी खबर न थी कि उन औरतों में जिन्हें देखकर आप उस बाग में गए थे, दो औरतें ऐसी हैं जिन्हें और बातों के अतिरिक्त यहाँ की रानी कहलाने की प्रतिष्ठा भी प्राप्त है। जिन्दगी का पिछला भाग इस बुढ़ौती के लिबास में काट रहा हूँ इसलिए आँखों की रोशनी और ताकत ने भी एक तौर पर जवाब ही दे दिया है, इसीलिए मैं उन औरतों को भी पहचान न सका।

इन्द्रजीतसिंह––खैर तो यह बात ही क्या थी जिसके लिए आप माफी मांग रहे हैं और इससे मेरा हर्ज भी क्या हुआ? आप उस काम की फिक्र कीजिए जिसके लिए आपको यहाँ आने की तकलीफ उठानी पड़ी।

दारोगा––इस समय वे ही दोनों, अर्थात् इन्द्रानी और आनन्दी, मेरे यहाँ आने का सबब हुई हैं। मैं आपके पास इस बात की इतिला करने के लिए भेजा गया हूँ कि परसों उन दोनों औरतों की शादी आप दोनों भाइयों के साथ होने वाली है, आशा है कि आप दोनों भाई इसे स्वीकार करेंगे।

इन्द्रजीतसिंह––मैं अफसोस के साथ यह जवाब देने पर मजबूर हूँ कि हम लोग इस शादी को मंजूर नहीं कर सकते और इसके कई सबब हैं।

दारोगा––ठीक है, मुझे भी पहले-पहले यही जवाब सुनने की आशा थी, मगर मैं आपको अपनी तरफ से भी नेकनीयती के साथ यह राय दूँगा कि आप इस शादी से इनकार न करें और मुझे उन सब बातों के कहने का मौका न दें जिन्हें लाचारी की हालत में निवेदन करके समझाना पड़ेगा कि आप इस शादी से इनकार नहीं कर सकते, बाकी रही यह बात कि इनकार करने के कई सबब हैं, सो यद्यपि मैं उन कारणों के जानने का दावा तो नहीं कर सकता मगर इतना तो जरूर कह सकता हूँ कि सबसे बड़ा सबब जो है वह केवल मुझी को नहीं बल्कि सभी को यहाँ तक कि इन्द्रानी और आनन्दी को भी मालूम है। परन्तु मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि किशोरी और कामिनी को भी इस शादी से किसी तरह का दुःख न होगा, क्योंकि उन्हें इस बात की पूरी-पूरी खबर है कि यह शादी ही आपकी और उनकी मुलाकात का सबब होगी, बिना इस शादी के हुए वे आपको और आप उन्हें देख भी नहीं सकते।

इन्द्रजीतसिंह––मैं आपकी बातों पर विश्वास करने की कोशिश करूँगा, परन्तु और सब बातों को किनारे रखकर मैं आपसे यह पूछता हूँ कि यह शादी किस रीति के अनुसार हो रही है? विवाह के आठ प्रकार शास्त्र ने कहे हैं, यह उनमें से कौन सा प्रकार है और ऐसी शादी का नतीजा क्या निकलेगा। यद्यपि इसमें मेरी कुछ हानि नहीं हो सकती परन्तु मेरी अनिच्छा के कारण जो कुछ हानि हो सकती है इसका विचार लड़की वाले के सिर है।

दारोगा––ठीक है, मगर जहाँ तक मैं सोचता हूँ इन सब बातों पर अच्छी तरद