पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१२८

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कुँअर इन्द्रजीतसिंह ने एक लम्बी साँस लेकर भैरोंसिंह से कहा, "भैरोंसिंह, इस बात का तो मुझे गुमान भी नहीं हो सकता कि तुम स्वप्न में भी हम लोगों के साथ बुराई करने का इरादा करोगे मगर तुम्हारे झूठ बोलने ने हम लोगों को दुःखी कर दिया है। अगर तुमने झूठ बोल कर हम लोगों को धोखे न डाला होता तो आज इन्द्रानी और आनन्दी वाले मामले में पड़ कर हमने अपने मुँह पर अपने हाथ से स्याही न मली होती। यद्यपि इन दोनों औरतों के बारे में तरह-तरह के विचार मन में उठते थे, मगर इस बात का गुमान कब हो सकता था कि ये दोनों मायारानी और माधवी होंगी! ईश्वर ने बड़ी कुशल की कि शादी होने के बाद आधी घड़ी के लिए भी उन दोनों कम्बख्तों का साथ न हुआ, अगर होता तो बड़े ही धर्म-संकट में जान फँस जाती। मैं यह समझता हूँ कि राजा गोपालसिंह की आज्ञानुसार आज-कल तुम कमलिनी वगैरह का साथ दे रहे हो, शायद ऐसा करने में भी कोई फायदा ही होगा, मगर इस बात पर हमारा खयाल कभी नहीं जम सकता कि इतनी बढ़ी-चढ़ी दिल्लगी करने की किसी ने तुम्हें इजाजत दी होगी। नहीं-नहीं, इसे दिल्लगी नहीं कहना चाहिए, यह तो इज्जत औ हुर्मत को मिट्टी में मिला देने वाला काम है। भला तुम ही बताओ कि किशोरी और कमलिनी वगैरह तथा और लोगों के सामने अब हम अपना मुँह क्योंकर दिखायेंगे!

भैरोंसिंह––और लोगों की बातें तो जाने दीजिए, क्योंकि इस तिलिस्म के जो कुछ हो रहा है इसकी खबर बाहर वालों को हो ही नहीं सकती, हाँ किशोरी, कामिनी और कमला वगैरह अवश्य ताना मारेंगी क्योंकि उनको इस मामले की पूरी खबर है और वे लोग इसी बगल वाले बाग में मौजूद भी हैं, मगर मैं सच कहता हूँ कि इस मामले में मैं बिल्कुल बेकसूर हूँ! इसमें कोई शक नहीं कि कमलिनी की इच्छानुसार मैं बहुत-सी बातें आप लोगों से छिपा गया हूँ मगर इन्द्रानी के मामले में मैं भी धोखा खा गया। मैंने ही नहीं, बल्कि कमलिनी ने भी यही समझा था कि इन्द्रानी और आनन्दी इस तिलिस्म की रानी हैं। खैर, अब तो जो कुछ होना था वह हो चुका, रंज को दूर कीजिए और चलिए, मैं आपकी कमलिनी वगैरह से मुलाकात कराऊँ।

इन्द्रजीतसिंह––नहीं, अभी मैं उन लोगों से मुलाकात नहीं हाँ करूँगा, बाद देखा जाएगा।

आनन्दसिंह––जी हाँ, मेरी भी यही राय है। अफसोस, माधवी की बनावटी कलाई पर भी उस समय कुछ ध्यान नहीं गया, यद्यपि एक मामूली और छोटी बात थी!

भैरोंसिंह––नहीं-नहीं ऐसा खयाल न कीजिए, जब आप अपना दिल इतना छोटा कर लेंगे तब किसी भारी काम को क्योंकर करेंगे? इसे भी जाने दीजिए, आप यह बताइये कि इसमें किशोरी या कमलिनी वगैरह का क्या कसूर है जो आप उनसे मुलाकात तक भी न करेंगे? शादी-ब्याह का शौक बढ़ा आपको और भूल हुई आपसे, कमलिनी ने भला क्या किया? (चौंक कर) खैर, आप उनके पास न जाइए, वह देखिए