पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२०५

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लगी कि जरूर भूतनाथ इसके पहचानने में धोखा खा गया और वास्तव यह भूतनाथ की स्त्री नहीं है। अक्सर लोगों ने एक ही रूप-रंग के दो आदमी देखे हैं, ताज्जुब नहीं कि यहाँ भी वैसा ही कुछ मामला आ पड़ा हो।

देवीसिंह––(स्त्री से) तो तू इस भूतनाथ की स्त्री नहीं है?

स्त्री––जी नहीं।

देवीसिंह––आखिर इसका फैसला क्योंकर हो?

स्त्री––आप लोग जरा तकलीफ करके मेरे घर तक चलें, वहाँ मेरे बच्चों को देखने और मेरे मालिक से बातचीत करने पर आपको मालूम हो जायेगा कि मेरा कहना सच है या झूठ।

देवीसिंह––(औरत की बात पसन्द करके) तुम्हारा घर यहाँ से कितनी दूर है?

स्त्री––(हाथ का इशारा करके) इसी तरफ है, सो यहाँ से थोड़ी दूर पर। इन घने पेड़ों के पार ही आपको वह झोंपड़ी दिखाई देगी, जिसमें आजकल हम लोग रहते हैं।

देवीसिंह––क्या तुम झोंपड़ी में रहती हो? मगर तुम्हारी सुरत-शक्ल तो किसी झोपड़ी में रहने योग्य नहीं है।

स्त्री––जी, मेरे दो लड़के बीमार हैं, उनकी तन्दुरुस्ती का खयाल करके हवा-पानी बदलने की नीयत से आजकल हम लोग यहाँ आ टिके हैं। (हाथ जोड़कर) आप कृपा करके शीघ्र उठिये, और मेरे डेरे पर चलकर इस बखेड़े को तय कीजिये, विलम्ब होने से मैं मुफ्त में सताई जाऊँगी।

देवीसिंह––(भूतनाथ से) क्या हर्ज है, अगर इसके डेरे पर चलकर शक मिटा लिया जाये?

भूतनाथ––जो कुछ आपकी राय हो, मैं करने को तैयार हूँ, मगर यह तो मुझे अजीब ढंग से अन्धा बना रही है।

देवीसिंह––अच्छा, फिर उठो, अब देर करना उचित नहीं!

उस औरत की अनूठी बातचीत ने इन दोनों को इस बात पर मजबूर किया कि उसके साथ-साथ डेरे तक या जहाँ वह ले जाये, चुपचाप चले जायें, और देखें, कि जो कुछ वह कहती है, कहाँ तक सच है, और आखिर ऐसा ही हुआ।

इशारा पाते ही औरत उठ खड़ी हुई। देवीसिंह और भूतनाथ उसके पीछे-पीछे रवाना हुए। उस औरत को घोड़े पर सवार होने की आज्ञा न मिली, इसलिए वह घोड़े की लगाम थामे हुए धीरे-धीरे इन दोनों के साथ चली।

लगभग आध कोस के गए होंगे कि दूर से एक छोटा-सा कच्चा मकान दिखाई पड़ा जिसे एक तौर पर झोंपड़ी कहना उचित है। यह मकान ऊपर से खपड़े की जगह केवल पत्तों ही से छाया हुआ था।

जब ये लोग झोंपड़ी के दरवाजे पर पहुँचे तब उस औरत ने अपने घोड़े को खूटे के साथ बाँध कर थोड़ी-सी घास उसके आगे डाल दी जो उसी जगह एक पेड़ के नीचे पड़ी हुई थी और जिसे देखने से मालूम होता था कि रोज इसी जगह घोड़ा बाँधा जाता है। इसके बाद उसने देवीसिंह और भूतनाथ से कहा, "आप लोग जरा सा इसी जगह