पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१०९

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उसी बाग में ले आए, जिसमें उनसे मुलाकात हुई थी या जहाँ से इन्द्रदेव के स्थान में जाने का रास्ता था।


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इस बाग में पहले दिन जिस बारहदरी में बैठकर सभी ने भोजन किया था, आज पुनः उसी बारहदरी में बैठने और भोजन करने का मौका मिला। खाने की चीजें ऐयार लोग अपने साथ ले आये थे और जल की वहाँ कमी ही न थी, अतः स्नान-सन्ध्योपासन और भोजन इत्यादि से छुट्टी पाकर सब कोई उसी बारहदरी में सो रहे क्योंकि रात के जागे हुए थे और बिना कुछ आराम किये आगे बढ़ने की इच्छा न थी।

जब दिन पहर भर से कुछ कम बाकी रह गया, तब सब कोई उठे और चश्मे के जल से हाथ-मुँह धोकर आगे की तरफ बढ़ने के लिए तैयार हुए ।

हम ऊपर किसी बयान में लिख आये हैं कि यहाँ तीनों तरफ की दीवारों में कई आलमारियाँ भी थीं, अतः इस समय कुंअर इन्द्रजीतसिंह ने उन्हीं आलमारियों में से एक आलमारी खोली, और महाराज की तरफ देखकर कहा, “चुनार के तिलिस्म में जाने का यही रास्ता है, और हम दोनों भाई इसी रास्ते से वहाँ तक गये थे।"

रास्ता बिल्कुल अँधेरा था, इसलिए इन्द्रजीतसिंह तिलिस्मी खंजर की रोशनी करते हुए आगे-आगे रवाना हुए और उनके पीछे महाराज सुरेन्द्रसिंह, राजा वीरेन्द्रसिंह, गोपालसिंह, इन्द्रदेव वगैरह और ऐयार लोग रवाना हुए। सबसे पीछे कुंअर आनन्दसिंह तिलिस्मी खंजर की रोशनी करते हुए जाने लगे, क्योंकि सुरंग पतली थी, और केवल आगे की रोशनी से काम नहीं चल सकता था।

ये लोग उस सुरंग में कई धण्टे तक बराबर चलते गये और इस बात का पता न लगा कि कब संध्या या अब कितनी रात बीत चुकी है । जब सुरंग का दूसरा दरवाजा इन लोगों को मिला और उसे खोलकर सब कोई बाहर निकले तो अपने को एक लम्बी-चौड़ी कोठरी में पाया, जिसमें इस दरवाजे के अतिरिक्त तीनों तरफ की दीवारों में और भी तीन दरवाजे थे, जिनकी तरफ इशारा करके कुंअर इन्द्रजीतसिंह ने कहा, "अब हम लोग उस चबूतरे वाले तिलिस्म के नीचे आ पहुँचे हैं। इस जगह एक-दूसरे से मिली हुई सैकड़ों कोठरियाँ हैं जो भूल-भुलैये की तरह चक्कर दिलाती हैं और जिनमें फँसा हुआ अनजान आदमी जल्दी निकल ही नहीं सकता। जब पहले-पहल हम दोनों भाई यहाँ आये थे तो सब कोठरियों के दरवाजे बन्द थे जो तिलिस्मी किताब की सहायता से खोले गये और जिनका खुलासा हाल आपको तिलिस्मी किताब के पढ़ने से मालूम होगा, मगर इनके खोलने में कई दिन लगे और तकलीफ भी बहुत हुई। इन कोठरियों के मध्य में एक चौखूटा कमरा आप देखेंगे जो ठीक चबूतरे के नीचे है और उसी में से बाहर निकलने का रास्ता है, बाकी सब कोठरियों में असबाब और खजाना भरा हुआ है। इसके अतिरिक्त