पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
153
 

कभी न करना।"

पुर्जा पढ़ने ही नानक के होश उड़ गये। झटपट पानी का लोटा उठा लिया और मुंह में लूंसा हुआ कपड़ा निकालकर शान्ता का चेहरा धोने लगा, तब तक वह भी होश में आ गई। चेहरा साफ होने पर नानक ने देखा कि यह तो उसकी असली मां 'रामदेई' है। उसने होश में आते ही नानक से कहा, "क्यों बेटा, तुमने मेरे ही साथ ऐसा सलूक किया !"

नानक के ताज्जुब की कोई हद न रही। वह घबराहट के साथ अपनी माँ का मुंह देखने लगा और ऐसा परेशान हुआ कि आधी घड़ी तक उसमें कुछ बोलने की शक्ति न रही। इस बीच में रामदेई ने उसे तरह-तरह की बातें सुनाई जिन्हें वह सिर नीचा कि हुए चुपचाप सुनता रहा । जब उसकी तबीयत कुछ ठिकाने हुई तब उसने सोचा कि पहले उस रामदेई को पकड़ना चाहिए जो मेरे सामने चिट्ठी फेंककर मकान के बाहर निकल गई है, परन्तु यह उसकी सामर्थ्य के बाहर था, क्योंकि उसे घर से बाहर गए हुए देर हो चुकी थी, अतः उसने सोचा कि अब वह किसी तरह नहीं पकड़ी जा सकती।

नानक ने अपनी माँ के हाथ-पैर खोल डाले और कहा, "मेरी समझ में कुछ नहीं आता कि यह क्या हुआ, तुम वहाँ कैसे जा पहुँची, और तुम्हारी शक्ल में यहां रहने वाली कोन थी या क्योंकर आई!"

रामदेई--मैं इसका जवाब कुछ भी नहीं दे सकती और न मुझे कुछ मालूम ही है। मैं तुम्हारे चले जाने के बाद इसी घर में थी, इसी घर में बेहोश हुई और होश आने पर अपने को इसी घर में देखती हूँ, अब तुम्हीं बयान करो कि क्या हुआ और तुमने मेरे साथ ऐसा सलूक क्यों किया?

नानक ने ताज्जुब के साथ अपना किस्सा पूरा-पूरा बयान किया और अन्त में कहा, "अब तुम ही बताओ कि मैंने इसमें क्या भूल की ?"


9

दिन का समय है और दोपहर ढल चुकी है। महाराज सुरेन्द्रसिंह अभी-अभी भोजन करके आये हैं और अपने कमरे में पलंग पर लेटे कर पान चबाते हुए अपने दोस्तों तथा लड़कों से हँसी-खुशी की बातें कर रहे हैं जोकि महाराज से घण्टे-भर पहले ही भोजन इत्यादि से छुट्टी पा चुके हैं।

महाराज के अतिरिक्त इस समय इस कमरे में राजा वीरेन्द्रसिंह, कुंअर इन्द्रजीत-सिंह, आनन्दसिंह, राजा गोपालसिंह, जीतसिंह, देवीसिंह, पन्नालाल, रामनारायण,पण्डित बद्रीनाथ, चुन्नीलाल, जगन्नाथ ज्योतिषी, भैरोंसिंह, इन्द्रदेव और गोपालसिंह के दोस्त भरतसिंह भी बैठे हुए हैं।

वीरेन्द्रसिंह--इसमें कोई सन्देह नहीं कि जो तिलिस्म मैंने तोड़ा था, वह इस तिलिस्म के सामने रुपये में एक पैसा भी नहीं है। साथ ही इसके जमानिया राज्य में जैसे-जैसे महापुरुष (दारोगा की तरह)रह चुके हैं तथा वहां जैसी-जैसी घटनाएं हो गई हैं उनकी