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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१५७

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और यह सोचकर कि अगर जानवर उम्दा होगा तो मैं खुद उसका दाम देकर अपने यहा रख लूंगा मैंने जवाब दिया “चलो देखें, कैसा घोड़ा है, घुबरसिंह ने कहा, चलिये, अगर आपको पसन्द आ जाये तो आप ही रख लीजियेगा।"

उन दिनों मैं रघुबरसिंह को भला आदमी अशरीफ और अपना दोस्त समझता था,मुझे इस बात की कुछ भी खबर न थी कि यह परले सिरे का वेईमान और शैतान का भाई है, उसी तरह दारोगा को भी मैं इतना बुरा नहीं समझता था और राजा गोपालसिंह की तरह मुझे भी विश्वास था कि जमानिया की उस गुप्त कमेटी से इन दोनों का कुछ भी सम्बन्ध नहीं है। मगर हरदीन ने मेरी आँखें खोल दी और साबित कर दिया कि जो कुछ हम लोग सोचे हुए थे वह हमारी भूल थी।

खैर, मैं रघुबरसिंह के साथ ही बाग के बाहर निकला और दरवाजे पर आया,कसे-कसाये दो घोड़े दिखे, जिनमें एक तो खास रघुबरसिंह का घोड़ा था और दूसरा एक नया और बहुत ही शानदार वही घोड़ा था, जिसकी रघुबरसिंह ने तारीफ की थी।

मैं उस घोड़े पर सवार होने वाला ही था कि हरदीन दौड़ा-दौड़ा बद-हवास मेरे पास आया और बोला, “घर में बहूजी (मेरी स्त्री) को न मालूम क्या हो गया कि गिरकर बेहोश हो गई हैं और उनके मुंह से खून निकल रहा है।जरा चलकर देख लीजिए।"

हरदीन की बात सुनकर मैं तरदुद में पड़ गया और उसे साथ लेकर घर के अन्दर गया, क्योंकि हरदीन बराबर जनाने में आया-जाया करता था और उसके लिए किसी तरह का पर्दा न था । जब घर की दूसरी ड्योढ़ी मैंने लांघी तब वहाँ एकान्त में हरदीन ने मुझे रोका और कहा, “जो कुछ मैंने आपको खबर दी वह बिल्कुल झूठ है,बहूजी बहुत अच्छी तरह हैं।"

मैं--तो तुमने ऐसा क्यों किया?

हरदीन--इसीलिए कि रघुवरसिंह के साथ जाने से आपको रोकू ।

मैं--सो क्यों?

हरदीन--इसीलिए कि वह आपको धोखा देकर ले जा रहा है और आपकी जान लेना चाहता है। मैं उसके सामने आपको रोक नहीं सकता था, अगर रोकता तो उसे मेरी तरफदारी मालूम हो जाती और मैं जान से मारा जाता और फिर आपको इन दुष्टों की चालबाजियों से बचाने वाला कोई न रहता । यद्यपि मुझे अपनी जान आपसे बढ़कर प्यारी नहीं है, तथापि आपकी रक्षा करना मेरा कर्तव्य है और यह बात आपके आधीन है, यदि आप मेरा भेद खोल देंगे, तो फिर मेरा इस दुनिया में रहना मुश्किल है।

मैं--(ताज्जुब के साथ) तुम आज यह क्या कह रहे हो ? रघुबरसिंह तो हमारा गहरा दोस्त है !

हरदीन--इस दोस्ती पर आप भरोसा न करें, और इस समय इस मौके को टाल जायें, रात को मैं सब बातें आपको अच्छी तरह समझा दूंगा, या यदि आपको मेरी बातों पर विश्वास न हो तो जाइए, मगर एक तमंचा कमर में छिपाकर लेते जाइए, और पश्चिम की तरफ कदापि न जाकर पूरब की तरफ को जाइए-साथ ही हर तरह