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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१७२

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था, मगर हम दोनों यह नहीं जानते थे कि इसमें क्या गुण है । दारोगा को दूसरा गोला निकालते देख हम दोनों उस चबूतरे पर चढ़ गये, मगर उस से उतरकर भाग न सके, क्योंकि चढ़ने के साथ ही चबूतरा हिला, तथा हम दोनों को लिए हुए जमीन के अन्दर धंस गया और साथ ही न मालूम किस चीज के असर से हम दोनों बेहोश हो गये । जब होश में आये तो चारों तरफ अन्धकार ही अन्धकार दिखाई दिया, नहीं कह सकते कि हम दोनों कितनी देर तक बेहोश रहे।

कुछ देर तक चुपचाप बैठे रहने के बाद सामने की तरफ कुछ उजाला मालूम हुआ और वह उजाला धीरे-धीरे बढ़ने लगा जिससे हमने समझा कि सामने कोई दरवाजा है और उसमें से सुबह की सफेदी दिखाई दे रही है। हम दोनों उठकर खड़े हुए और उसी उजाले की तरफ बढ़े । वास्तव में वैसा ही था जैसा हम लोगों ने सोचा था। कई कदम चलने के बाद एक दरवाजा मिला जिसे लांघकर हम दोनों उसी बुर्ज वाले बाग में जा पहुंचे जहां दोनों कुमारों से मुलाकात हुई थी। इसके बाद बाहर का हाल बहुत दिनों तक कुछ भी मालूम न हुआ कि क्या हो रहा है और क्या हुआ।बहुत दिनों तक वहाँ से बाहर निकलने के लिए उद्योग करते रहे, परन्तु सब कुछ ध्यर्थ हुआ और वहां से छुट्टी तभी मिली जब दोनों कुमारों के दर्शन हुए! कुछ दिनों बाद दलीपशाह से भी उसी बाग मुलाकात हुई जिसका हाल उनका किस्सा सुनने से आप लोगों को मालूम होगा । बस,इतना ही तो मेरा किस्सा है। हाँ, जब आप दलीपशाह की कहानी सुनेंगे तब बेशक कुछ आनन्द मिलेगा। (एक नकाबपोश की तरफ बताकर) मेरा पुराना खैरखाह हरदीन यही है जो इतने दिनों तक मेरे दुःख-सुख का साथी बना रहा और अन्त में मेरे साथ ही कैद से छूटा।

भरतसिंह की कथा समाप्त होने के बाद दरबार बर्खास्त किया गया और महाराज ने हुक्म दिया कि "कल के दरबार में दलीपशाह अपना किस्सा बयान करेंगे।"


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दूसरे दिन पुनः उसी ढंग का दरबार लगा और सब लोग अपने-अपने ठिकाने पर बैठ गये।

इशारा पाकर दलीपशाह उठ खड़ा हुआ और उसने अपने चेहरे पर नकाब हटाकर दारोगा, जयपाल, बेगम और नागर वगैरह की तरफ देखकर कहा-

दलीपशाह-आप लोगों की खुशकिस्मती का जमाना तो बीत गया, अब वह जमाना आ गया है कि आप लोग अपने किये का फल भोगें और देखें कि आपने जिन लोगों को जहन्नुम में पहुँचाने का बीड़ा उठाया था आज ईश्वर की कृपा से वे ही लोग आपको हँसते-खेलते दिखाई देते हैं । खैर, मुझे इन बातों से कोई मतलब नहीं, इसका निपटारा तो महाराज की आज्ञा से होगा, मुझे अपना किस्सा बयान करने का हुक्म हुआ है सो बयान

1. देखिए चन्द्रकान्ता सन्तति, बीसवाँ भाग, चौथा बयान ।