पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/२०४

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"गिरिजाकुमार जमानिया में बैठा हुआ दारोगा के साथ बेगम का इन्तजार कर रहा था। जब बेगम को लुटवाकर दोनों सिपाही जिनके साथ बेगम के भी दो आदमी थे और जिन्हें मैंने जानबूझकर छोड़ दिया था, रोते-कलपते हुए जमानिया पहुंचे तो सीधे दारोगा के पास चले गये। उस समय वहाँ सूरत बदले हुए असली बिहारीसिंह और गिरिजाकुमार भी बिहारीसिंह बना हुआ बैठा था । दारोगा के सिपाहियों और बेगम के आदमियों ने अपनी बर्बादी और बेगम के लुट जाने का हाल बयान किया जिसे सुनते ही दारोगा को ताज्जुब और रंज हुआ। उसने गिरिजाकुमार की तरफ देखकर कहा,कार्रवाई किसने की होगी?"

गिरजाकुमार--खुद बेगम ने या फिर भूतनाथ ने ! (बेगम के आदमियों की तरफ देखकर) क्यों जी ! मैं समझता हूँ कि शायद महीने-भर के लगभग हुआ होगा जब एक भूतनाथ मेरे साथ बेगम के यहाँ गया था। उस समय तुम भी तो वहाँ थे, क्या तुमने मुझे पहचाना था?

बेगम का आदमी--जी नहीं, मैंने भापको नहीं पहचाना था।

गिरिजाकुमार--(दारोगा की तरफ देख कर) आप ही के कहे मुताबिक मैं दो-तीन दफे भूतनाथ के साथ बेगम के यहां गया था, पर वास्तव में भूतनाथ अच्छा आदमी है और ये लोग भी बड़ी मुस्तैदी के साथ वहाँ रहते हैं। (बेगम के आदमियों की तरफ देखकर) क्यों जी, है न यही बात ?

बेगम का आदमी--(हाथ जोड़ कर) जी हाँ सरकार !

बेगम के आदमियों की जुबान से गिरिजाकुमार ने बड़ी खूबी के साथ 'जी हाँ सरकार' कहलवा लिया। इसमें कोई शक नहीं कि भूतनाथ बेगम के यहाँ जाया करता था और गिरिजाकुमार को यह हाल मालूम था, मगर ऐसे मौके पर उसके आदमियों की जुबान से 'हाँ' कहला लेना मामूली बात न थी। उन खुशामदी आदमियों ने कर कि जब खुद बिहारीसिंह भूतनाथ के साथ अपना जाना कबूल करते हैं तो हाँ कहना ही अच्छा है-'जी हाँ सरकार' कह दिया और गिरिजाकुमार दारोगा तथा बिहारीसिंह की निगाह में सच्चा बन बैठा । साथ ही इसके गिरिजाकुमार दारोगा से पहले ही कह चुका था कि बेगम आवेगी तो मैं बात-ही-बात में किसी तरह साबित करा दूंगा कि भूतनाथ उसके यहां आता-जाता है, वह बात भी दारोगा को खूब याद थी, अत: दारोगा को गिरिजाकुमार पर और भी विश्वास हो गया। उसने गिरिजाकुमार का इशारा पाकर बेगम के दोनों आदमियों को बिना कुछ कहे थोड़ी देर के लिए बिदा किया और फिर आपस में इस तरह बातचीत करने लगा-

दारोगा--कुछ समझ में नहीं आता कि क्या मामला है !

गिरिजाकुमार--अजी, यह उसी कम्बख्त भूतनाथ की बदमाशी और दोनों की मिली-जुली सांठ-गांठ है । बेगम जान-बूझ कर यहाँ नहीं आई । अगर वह आती तो उसके आदमियों की तरह खास उसकी जुबान से भी मैं इस बात को साबित करा देता कि उससे और भूतनाथ से ताल्लुक है और इसीलिए मैं अभी तक बिहारी सिंह बना हुआ था, मगर खैर कोई चिन्ता नहीं, मैं बहुत जल्द इन सव भेदों का पूरा-पूरा पता लगा लूंगा और सोच