पृष्ठ:चन्द्रकांता सन्तति - देवकीनन्दन खत्री.pdf/१७

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चन्द्रकान्ता सन्तति
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चन्द्र गन्ना सन्तति रेन्द्र शवदत्त के ऐयारों के चालाका ता खूब की था मगर... मेन्द्र । या जा सर पर मवार हा सिद्ध ता बन लेकिन अपना काम न कर सके न! मगर मे भैरामिह का अब वहत जल्द छुडाना चाहिए। नात० । कुमार घबगायो मत, तुम्हारे दोस्त को किसी तरह की तकलीप नाही हो वती, लेकिन अभी उमका शिवदत्त के यहाँ फंसे ही रहना मुना गय - । वह वाफ नहीं है, बिना मदद के श्राप ही छूट कर या राकना , तिस पर पनानाल रामनागयण चुन्नीलाल बद्रीनाथ और ज्योलीना उसकी मदद को भेजे हो गए है, देखो तो क्या होता है। स्तनांनी तक चुपचाप बैठे रह कर शिवदत्त ने फिर अपना स्वराया करने पर उमर योधी है। दर' । कुमारी के साथ फौज शिकारगाह में गई है उसके लिए शर दश 'क्माता ? जीत० । अभी शरगाह से डेरा उठाना मुनासिब नही । (तेजसिंह ताप दास का ) क्यों तेज ? ने० । (गाय नोट कर ) जी हाँ, शिकारगाह में डेरा कायम रहने से हम लोग बदी ग्यूवमूरती श्रीर दिल्लगी से अपना काम निकाल सकेंगे। मुंगेन्द्र यार शिवदत्तगढ़ से लौटे तो कुच हालचाल मालूम हो । तेजल ना नई मार परमी तक कोई न काई जसर पायेगा। पर भर में ज्याद देर तक बातचीत होती रहो । कुल बातों को सोचना पन नुनाममममले बल्कि यासिरी बात का पता तो हम मानगा जो मजान्न म उन के बाद जतसिंह नाले में तेजहि को राम जान दीजिए, लोहोगा देखा जायगा, जल्दा क्या है। गगा friअनी बादरोम इन्द्रजातसिंह और आनन्दसिंह नामा पल देव । वरमात का मीसिम है, गगा पदाग्नि के नीन जल पहुँचा हुआ है, छोटी छाटी सदर