पृष्ठ:चन्द्रकांता सन्तति - देवकीनन्दन खत्री.pdf/१८४

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तीसरा हिस्सा
 

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तोमर हिले र 1 में इसे ले जाता है, अपने एक दरत के सुपुर्द कर दूगा । न। यह बड़े श्रीराम में रहेगी । जब सब तरफ से फसाद मिट जात्रा में इसे ले ग्राऊंगा और तय यह भी अपनी मुराद में पहुंच जायगी ।। यमना० ! जो मजा ।। तीन आदमी तराने के बाहर निकले शौर ने ऊपर लिया जा नु । उग तर ठडि शीर दालानों में से होते हुए इस मनि के र निकन पाए ।। २० | मला, ले अब तू ना और कामिनी की तरफ, भे हि रत्, झसे मिलने के लिए ग्री टिकाना मुनास्यि है । | कमला | अच्छा में जाती हैं मगर यह तो कटू दीजिए कि उस दिमी में मुझे ! तक होशियार रहना चाहिए जो आपसे मिलने झाया था ? | शैः । ( क श्राचाज में ) एक दफे क दिया कि उसका पनि भुना है, उससे होगियार रहने की चोई जरूरत नहीं थर न रह तुझे फर भई दियाई देगा ! चौदहवां बयान रोतागढ़ किले के चारों तरफ बना उन है जिसमें सा शराम ते मन ‘ौर गल इत्यादि के ब्रे व पेठ की घनी छाया में एक त को अन्धकार मा हो रहा है ! इस ची तो बात ही दृशः। ॐ वह दिन को भी रास्ते का पगदए कई पता लगाना Efक गा कि सूर्य * सुना किरणों के प्री में इन जमीन तक पहुंचने वा चहुत कम मका मिलती थी 1 कहीं कई छोटे छोटे पेड़ों की बदौलत बगल रत्ना घना हो । यी कि उसमें भूते हुए म्यादमिय। ये मुश्किल में छुपार मिन्ननः भो । धेने मेंके पर उसमें हजारो अदिमी इस तरह छिन सकते थे कि इजार गिर पटकनै ग्रोर बीजने पर भी उनका पता लगाना अग्भिव श } दिन छ तो इन जगल ६ अन्धकार र ६ मा भगद हम रात मा हाल लिखते हैं