पृष्ठ:चन्द्रकांता सन्तति - देवकीनन्दन खत्री.pdf/२

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चन्द्रकान्ता सन्तति
पहिला हिस्सा
पहिला बयान

गढ़ के राजा सुरेन्द्रसिंह के लङके बीरेन्द्रसिंह की शादी विजयगढ़ | के महज जयसिह की लडकी चन्द्रकान्ता के साथ हो गई । भारत वाले | दिन तेजसिंह की अाखिरी दिल्ली के सर्वत्र चुनार के महाराज शिवदत्त को मशालची बनना पडा । बहुत की यह राय हुई कि महाराज शिवदत्त | कह दिल भी साफ नहीं हुआ इसलिये अब इनको कैद ही में रखना मुनासिव है, मगर महाराजा सुरेन्द्रसिंह ने इस बात को नापसन्द करके कहा कि 'महाराज शिवदत्त को हम छोड़ चुके हैं, इस वक्त जो तेजसिंह से उनकी लवई हो गई यह हमारे साथ बैर रखने का सबूत नहीं हो सकता, अाखिर महाराज शिवदत्त क्षत्री हैं, जब तेजसिंह उनकी सूरत बन बेइज्जती करने पर उतारू हो गये तो यद्द देख कर भी ये कैसे बरदाश्त कर सकते थे ! में यह भी नहीं कह सकता कि महाराज शिवदत्त का दिल हम लोगों की तरफ से