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चौथा हिस्सा
 

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चौथा हिस्सा यह अजब औरत है। कुएँ पर हुकूमत चलाती है और कहती है कि मुझे पानी पिला ! यह अौरत मुझे पागल कहती है मगर मैं इसी को पागल समझता हूँ, भला कुशां इसे क्योंकर पानी पिलावेगा ? जो हो, मगर यह औरन खूबसूरत है और इसका गाना भी बहुत ही उम्दा है।। नानक इन बातों को सोच ही रहा था कि कोई चीज देख कर के पदा, बल्कि घुया फर उठ खड़ा हुआ और कांपते हुए तथा डरी हुई यूरत से कुए की तरफ देखने लगा। वह एक हाथ था जो चाँदी के फटोरे में साफ और ठण्ढा जल लिये हुए कुएँ के अन्दर से निकला या और इसी को देख कर नानक धबड़ा गया था । वः इवाय किनारे प्रया, उस औरत ने कटोरा ले लिया और जल पीने बाद कटोरा उसी हाथ पर रख दिया, हाथ कुए” के अन्दर चला गया और घडू श्रीरत फिर उसी तरह गाने लगी । नानक ने अपने जी में कहा, "न नहीं, यह औरत पागल नहीं है बल्कि में ही पागल हैं। क्योंकि इसे अभी तक न पहिचान सका । बेशक यह कोई गन्धर्व था अफसर है, नहीं नहीं कोई देवनी है जो रूप बदल र थाई है, तभी तो इसके अदन में इतनी ताकत है कि मेरी कलाई कद और झटका देकर तरूवार गिरा दी | मगर रामभोलो से इसका परिचय कहा हुआ ? गाते गाते यकायक वह औरत उठ खड़ी हुई ग्रंार बड़े जोर से चिया १३ उमी कुँए में कूद पड़ी ।। सातवां बयान | लाल पोशाक वाली औरत की अद्भुत चाता ने नानक को हैरान फ्र दिया । वह घबहा कर चारो तुःफ देखने लगा और डर के मारे उसकी अजम हाल्व दो गई। वे उस कूप पर भी ठहर न सका श्रोर जल्दी जल्दी कदम बढ़ाता हुआ इ उन्माद में गगाजी की तरफ रवाना हुआ कि अगर हो सकता किनारे किनारे चल कर उसे जड़े तक पहुँच