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चन्द्रकान्ता सन्तति
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चन्द्रकान्ता सन्तति ७६ ऐयार लोगों ने रोहतासगढ़ में क्या किया, अभी तक मेरी अकिल हैरान है ! | तेजसिंह ने सब हाल खुलासे तौर पर कह सुनाया । दीवान रामानन्द का हाल सुन दिग्विजयसिंह खूब हँसे बल्कि उन्हें अपनी बेवकूफी पर भी सी श्राई ग्रोर बोले, “आप लोगों से कोई बात दूर नहीं है। इसके बाद दीवान रामानन्द भी उसी जगह बुलवाये गए और दिग्विजयसिंह के हवाले किये गए, और दिग्विजयसिह के लडके कुँअर कल्याणसिंह को लाने के लिये भी कई यादमी चुनारगढ़ रवाना किये गए हैं। इस सब काम से छुट्टी पा कर लाली के बारे में बातचीत होने लगी। तेजसिंह ने दिग्विजयसिंह से पूछा कि लाली कौन है और आपके यहाँ कब से है ? इसके जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा कि लाली को हम बलूवी नहीं जानते । महीने भर से ज्यादे न हुआ होगा कि चार पाँच दिन ३ श्रागे पीछे लाल और कुन्दन दो नौजवान शौरते मेरे यहाँ पहुँची । उनकी चाल और पोशाक से मुझे मालूम हुआ कि किसी इज्जतदार घराने की लड़की है । पूछने पर उन दोनों ने अपने को इज्जतदार घराने की लकी जाहिर भी किया ग्रंर कहा कि मैं अपनी मुसिबत के दो तीन महीने श्राप यहाँ काटा चाहती हूँ । रहम पा कर मने उन दोनों को इजत के साथ अपने यह। रक्या, बस इसके सिवाय यार में कुछ नही जानता । तेज० | दैशक इस कोई भेद है, वे दोनों साधारण शौरत नहीं है। इयोतिप० । एक तार की बात में सुनाता हूँ ।। ते ज० | २p क्या है। योति ! को याद होगा कि तहखाने का हाल कहते समय मैने कहा कि जन ताने में किशोरी अरि लालो को मैने देखा तो टोना । नाम ले कर पुकारा जिममे उन दोनों को यश्चर्य हुआ । | १० | } हा मुझे याद है, मैं यह् पृछने ही वाला था कि लाली दो प्रॉपने में परिलाना ?