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चन्द्रकान्ता सन्तति
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चन्द्रकान्ता सन्तति पांचवां बयान परित बड़ीनाथ पन्नालाल रामनारायण श्रौर जगन्नाथ ज्योतिषी भैरोसिर ऐयार को छुड़ाने के लिए शिवदत्तगढ़ की तरफ गए । हुक्म के मुताविक कञ्चनसिंह मेनापति ने शेर वाले बाबाजी के पीछे जासूस भेज कर पता लगा लिया था कि भैरोसिंह ऐयार शिवदत्तगढ़ किले के अन्दर पहुँचाए गए, इसीलिए इन ऐयारों को पता लगाने की जरूरत न पडी, साधे शिवदत्तगढ़ पहुँचे और अपनी अपनी सूरत बदल शहर में घूमने लगे, पॉचो ने एक दूसरे का साथ छोड़ दिया मगर यह ठीक कर लिया था कि सब लोग घूम फिर कर फलानी जगह इकट्ठे हो जायँगे । दिन भर घूम फिर कर भैरोसिंह का पता लगाने के बाद कुल ऐयार शहर के बाहर एक पहाड़ी पर इकट्ठे हुए और रात मर सलाह करके राय कायम करने में काटी, दुमरे दिन ये लोग फिर सूरत बदल बदल कर शिवदत्तगढ़ में पहुँचे । रामनारायण और चुन्नीलाल ने अपनी सूरत उसी जगर के चोदारों की सी बनाई और वहा पहुँचे जहाँ भैरोसिंह कैद थे । कई दिनों तक कैद रहने के सवव उन्होने अपने को जाहिर कर दिया था और अपनी असली सूरत में एक कोठड़ी के अन्दर जिसके तीन तरफ दीवार श्रीर एक तरफ लोहे का अँगला ल हुया था वन्द थे । उस कोठी के बगल में उसी तरह की एक कोटी ग्रौर थी जिसमें गद्दी लगाए एफ वृद्धा दारोगा बेटा था और बार कई सिपाही नंगी तलवार लिए घूम घूम कर पा दे रहे थे । रामनारायण श्रौर चुन्नीलाल उस ६ट के देने पर जाकर पड़े हुए र बृढे दारोगा से बातचीत इग्न लगे। राम० | श्रापी महाराज ने याद किया है । चुदा० | क्यों क्या चाम १ १ भीतर श्राश्रा, बैठो, चलते हैं | रामनारायण श्रीर चुन्नीलाल कोटडी के अन्दर गए और बोले--