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चतुर्थ अंक
और तक्षशिला की सेना प्रस्तुत मिलेगी। आप ग्रीको के प्रधान-शिविर का अवरोध कीजिए!
चन्द्रगुप्त—―गुरुदेव ने यहाँ भी मेरा ध्यान नही छोडा! मै उनका अपराधी हूँ सिंहरण!
सिंह०––मै यहाँ देख लूगा, आप शीघ्र जाइए; समय नही है! मैं भी आता हूँ।
सेना––महाबलाधिकृत सिंहरण की जय!
[ चन्द्रगुप्त का प्रस्थान, इसरी ओर से सिंंहरण आदि का प्रस्थान ]