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        चन्द्रगुप्त

अंगण-वेदी वसुधा कुल्या जलधि, स्थली च पातालम् ।

वल्मीकश्च सुमेरुः,   कत-प्रतिज्ञस्य   वीरस्य ॥

                                 -हर्षचरित







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