पृष्ठ:चन्द्रगुप्त मौर्य्य.pdf/८३

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चन्द्रगुप्त
 


यवन—गांधार-नरेश के पास।

अलका—मैं चलती हूँ, चलो।

[आगे अलका, पीछे यवन और सैनिक जाते हैं]