पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/३६

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चाँदी की डिबिया
[ अङ्क १
 

देंगे। उन्हें देश का तो कोई ख़याल ही नहीं। तुम लिबरल और कंज़रवेटिव सब एक से हो। तुम्हें नाक के आगे तो कुछ दिखाई ही नहीं देता। तुममें ज़रा भी विचार नहीं है। तुम्हें चाहिए कि आपस में मिल जाव, और इस अँखुए को ही उखाड़ दो।

बार्थिविक

बिलकुल वाहियात बक रही हो। यह कैसे हो सकता है कि लिबरल और कंजरवेटिव मिल जाँय। इससे मालूम होता है कि औरतों के लिए यह कितनी---लिबरलों का सिद्धांत ही यह है, कि जनता पर विश्वास किया जाय।

मिसेज़ बार्थिविक

चुपके से नाश्ता करो जॉन, मानो तुममें और कंज़रवेटिवों में बड़ा भारी फर्क है। सभी बड़े आदमियों के एक ही सिद्धांत और एकही स्वार्थ होते हैं।

शांत होकर

उफ़! तुम ज्वालामुखी पर बैठे हो जोन

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