पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/६२

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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क १
 

है। मैंने ख़िदमतगार से पूछा, लेकिन वह कहता है मैंने नहीं पाया।

अपरिचित

मेरे रुपए आपको देने पड़ेंगे।

जैक

ओह! सब तय हो जायगा, मैं सब ठीक कर दूंँगा। कितने रुपए थे?

अपरिचित

[ खिन्न होकर ]

सात पौंड थे और १२ शिलिंग। वही मेरी कुल संपत्ति थी।

जैक

सब ठीक हो जायगा। मैं तुम्हें एक चेक भेज दूँगा।

अपरिचित

[ उत्सुकता से ]

नहीं साहब, मुझे अभी दे दीजिए, जो कुछ मेरी थैली में

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