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चिन्तामणि

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१५० चिन्तामणि सौन्दर्य की अभिव्यक्ति को ही लेकर चली है। स्त्रीत्व का आध्यात्मिक आदर्श व्यञ्जित करनेवाली ‘एपिसिडियन' ( Epips) chidion ) नाम की कविता भी इसी ढंग की है । "जिज्ञासा का उल्लेख पहले हो चुका है। ऐसी ही कुछ थोड़ी सी छोटी-छोटी कविताओं में रहस्य-भावना पाई जाती है ; पर ऐसी नहीं जो रहस्यवादियो के काम की हो । मेरे ध्यान में तो शैली की एक ही ऐसी छोटी सी कविता आती है जिसमें रहस्यवादियों के काम की कुछ सामग्री है । वह है**कवि-स्वप्न" ( 1 ]ne loet's Dream ) जिसमें कवि के सम्बन्ध में कहा गया है कि “वह प्रभात से सायंकाल तक झील में झलमलाती धूप और इश्कपेचो के फूलों पर वैठी-वैठी पी मधु-मक्खियो को देखता रहेगा। इसकी परवा न करेगा कि इन वस्तुओं की सत्ता क्या है। वह इनके ( इन रूपों के ) द्वारा ऐसे रूप ( कल्पना मे ) संवटित करेगा जो अमरत्व के अद्भज होंगे और जिनकी सत्ता मनुष्य-सत्ता से भी वास्तविक होगी । पर एक-आध जगह मिलनेवाली 'वाद' की ऐसी सामग्री शैली को रहस्यवादी कवियो में नहीं ढकेल सकती । शेली पर जो ससीक्षा-पुस्तके निकली हैं उनमें ३.ली रहस्यवादी कवि नहीं निरूपित हुए हैं। इधर समय-समय पर हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में रहस्यवाद या

  • He will watch from daun to gloom

The lake reflected sun illume, The yeliow becs in the ivy-bloom Nor hecd nor see what things they be , But froni these create le can, Forms morc rca) than living man, Nurslings of immortality.