पृष्ठ:चिंतामणि दूसरा भाग.pdf/१६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५८
चिन्तामणि

________________

चिन्तामणि * ! एक प्रान्दोलन के रूप में खड़ा करनेवाला अमेरिका को याद दिन ( I}':att 11°tiut111111 ) था जिमने सन् १८५५ * * *ग्न ॐ पर्ने” ( 1.15 ८५ (Of Glass) नाम की एक करिना केवल च पर च गनेवाली बिना छन्द की पंक्तियों में निकाली । इन पर्छ न तरह की और बहुत सी कविताएँ उसने लिखीं जिनमे मर्मा ने काग्रत्त्र, कलाविधान और साहित्यिक विष्टता की बहुत की बताः । एक समीक्षक ने बहुत थोड़े में अपनी राय इस प्रसार - अनुभूतियों का गड़बड़झाला, भावों और विचारों का विखरा हुआ देर, सामने रख दिया गया है–विना तुक-तुकान्त के, जो कोई त्रुटि नहीं ; विना छन्द के, जो एक बुटि है। “यह सूचित करना आवश्यक है कि उत्तम काव्य के सव लक्षणो की दृष्टि से उसका विधान दूषित है। जैसा कि किसी ने कहा है, यदि शेक्सपियर, कीट्स और गेटे ( Gucthe ) कवि हैं तो हिटमैन कदापि नहीं । और विलायती हवाओं की तरह यह हवा भी बॅगला से होती हुई हिन्दी में आई है और छायावाद के साथ उसकी विलक्षणता बढाने के लिए जोड़ी गई है । पर यह अच्छी तरह समझ रखना --- --


"A chaos of impressions, thoughts or feelings thruin together witlout rhyare, which mattery little; without metré which matters more, and often without reason which matters inuch "It must be pointed out, however, that all the canons of good poetry condemn his methods. As some has said, if Shakespeare, Keats and Goethe were poets, Whitman is not". -AB De Mille Literature in the Century (The Nineteenth Century Series )