पृष्ठ:चिंतामणि दूसरा भाग.pdf/२५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२४८
चिन्तामणि

________________

२४६ चिन्तामणि क्षेत्र में उनके नैराश्य़ में योग देनेवाले हैं मि० हाजमन (Flousman) और एलियट ( T. S. 1:1io{ } } ये लोग केवल समय-समय पर अपनी कुद्न और बौखलाहट भर प्रकट कर देते हैं । पर कुछ लोग ऐसे भी है जो एकबारगी निराश नहीं हैं। वे बुद्धि के पीछे डंडा लेकर खड़े हो गए है। वे भावना के खोए हुए भोलेपन को लौटा लाने की कुछ आशा रखते है। वे समझते हैं कि बुद्धि द्वारा फैलाए हुए जाल को छिन्न-भिन्न करके वे भावना के स्वतन्त्र विचरण के लिए फिर मैदान निकाल लेगे । इनमें से कुछ लोग तो बड़ी मिहनत से तरह-तरह के प्राचीन चित्र और जंगली जातियों की चिन्नकारियाँ इकट्ठी कर रहे हैं कि शायद कला का रहस्य कुछ मिल जाये । इन चित्रो के रंग और रेखाएँ भद्दी भी होती है तो विचित्र विचित्र सिद्धान्तों की उद्गावना करके समझाया जाता है कि वे इस सिद्धान्त पर है उस सिद्धान्त पर हैं। बुद्धिग्रस्त होने के कारण हम उनके सौन्दर्य की अनुभूति तक नहीं पहुंच पाते हैं । इंगलैंड के प्रसिद्ध लेखक यार नाटककार बरनर्ड र ( Bernard Slies ) भी सुधार की आशा रखनेवाले बुद्धि-विरोधियों में है। उनका कहना है कि बुद्धि उत्पादिका या क्रियात्मिकी नही, केवल निश्चयात्मिको है। उससे हमारा उद्धार नहीं हो सकता । हमें क्रियात्मिका वृत्ति का सहारा लेना चाहिए, नहीं तो हम गए, सब दिन के लिए । | काव्य के क्षेत्र से बुद्धि को एकवारगी निकाल बाहर करने पर सबसे मुस्तैद दिखाई पड़ते है कमिग्ज साह्न (E. E. Cu11111nings) जो अमेरिका के एक कवि है। उन्होने बुद्धि का पूरा विरोध प्रदर्शित करने के लिए अपनी एक पुस्तक का नाम रखा है “पॉच होता है-- अर्थात् दो और दो चार नही, पॉच होता है । इस सम्बन्ध में एक बड़ा ही मनोरञ्जक निवन्ध “कविता का खोया हुआ भोलापन' (The Lost Innocence of Poetry ): कलिफोर्निया विश्वविद्यालय के