पृष्ठ:चिंतामणि दूसरा भाग.pdf/८५

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चिन्तामणि

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चिन्तामणि की खोज में मन और आत्मा का सारा प्रदेश छान डालता है और पहले विश्व की आत्मा तक पहुँचता है और उसी को ब्रह्म मान लेती है । इस पर एक ब्रहाज्ञानी इस प्रकार उसकी भूल सुझाता है--- ....................Poor fool, And dids't thou think this present sensible world Was God? it is a 11anne........ Thic name Lord God chooses lo go by, made in language of stars and licavens and life. “अरे मूर्ख ! तू ने क्या इस प्रस्तुत गोचर जगत् को ब्रह्म समझा था ? यह तो आकाश, नक्षत्र और जीवन-रूपी भ'पा में व्यक्त एक नाम है जो अपने लिए उसने रख लिया है ।। अन्त में चराचर की सीमा पर पहुंचकर वह अपने अन्तस् के अदृश्य अधिष्ठाता से पूछता है Seeker --Then tliou art God ? Within-Ay, many call me so. And yet, though words were never large enough To take me niade, I have a better name. Seeker-Thien truly, who art thou ? Within-I am Thy Self. जिज्ञासु-तो फिर तू ही ब्रह्म है ? अन्तर्वाणी-हाँ, बहुत लोग ऐसा ही कहते है। फिर भी, यद्यपि शब्दों के भीतर मेरा स्वरूप नही आ सकता, मेरा इससे अच्छा नाम भी है। जिज्ञासु-–फिर तू है कौन ?