पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/१७५

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कर्तव्य-पालन

सआदतख़ाँ ने कहा -- मैं आज से तोबा करता हूँ। कभी हिंदुओं से तअस्सुब न रक्खूँगा।

यह कहकर सआदतख़ाँ पांडेयजी से लिपट गया, और बोला -- पंडितजी, आज से आप मेरे भाई है।

पांडेयजी मुसकिराकर बोले -- मैं तो तुम्हें हमेशा भाई समझता रहा। शुक्र है, आज तुमने भी भाई को पहचान लिया। मैंने कोई एहसान नहीं, केवल अपने कर्तव्य का पालन किया है।


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