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चोखे चौपदे
पीसने के लिये किसी दिल को।
तू अगर बन गया कभी पत्थर॥
तो समझ लाख बार लानत है।
गाल तेरी मुलायमीयत पर॥
मुँह
हो गयी बन्द बोलती अब तो।
तू बहुत क्या बहँक बहँक बोला।
तू भली बात के लिये न खुला।
मुँह तुझे आज मोत ने खोला॥
है बहुत से अडोल ऐसे भी।
ना कि बिजली गिरे नहीं डाले॥
'जी' गये भी नही खुला जो मुँह।
मौत कैसे भला उसे खोले॥
बोल सकते हो अगर तो बोल लो।
तुम बड़ी प्यारी रसीली बोलियाँ॥
दिल किसी का चूर करते मत रहो।
मुँह चला कर गालियों की गोलियाँ॥