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काम के कलाम

दाम हो, या छदाम पास न हो।
पर बने मन न सूम-मन जैसा॥
जान जाये न दमड़ियाँ देते।
जी न निकले निकालते पैसा॥

चाह वालों को न दे चाहत बढ़ा।
लाभ का मद दे न लोभी को पिला॥
लालसाओं का न दे लासा लगा।
जी न ललचाये बुरी लालच दिला॥

ठीक कोई कर कभी सकता नही।
भाग, बिगड़े भाग, का फूटा हुआ॥
टूट पड़ कर किस लिये है तोड़ते।
जुड़ सका जोड़े न जी टूटा हुआ॥

जाँय रंग प्यार-रगतों मे हम।
सब जगह रग जो जमाना है॥
लाभ करके लुभावनी बातें।
जी लुभा लें अगर लुभाना है॥