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चोखे चौपदे

जान कढ़ जाय, है अगर कढ़ती।
दाँत-कढ़ने कभी नहीं पाये॥
मॉगने के लिये न मुँह फैले।
मरमिटे पर न हाथ फैलाये॥

सांसतें हम सहे न क्यों सब दिन।
मुँह किसी का नहीं निहारेगे॥
पाँव अपना पसार दुख लेवे।
हाथ हम तो नही पसारेगे॥

बॉह के बल को समझ को बूझ को।
दूसरों ने तो बँटाया है नही॥
धन किसी का देख काटें होठ क्यों।
हाथ तो हम ने कटाया है नही॥

कौड़ियों पर किस लिये हम दांत दे।
है हमारा भाग तो फूटा नही॥
क्या हुआ जो कुछ हमे टोटा हुआ।
है, हमारा हाथ तो टूटा नही॥