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काम के कलाम

देख कर मुँह और का जीना पड़े।
और सब हो पर कभी ऐसा न हो॥
वह बनेगा तीन कौड़ो का न क्यों।
जिस किसी के हाथ मे पैसा न हो॥

हो न पावे मलीन मुँह मेरा।
रह सके या न रह सके लाली॥
तन रहे तक न जाँय तन बिन हम।
धन न हो पर न हाथ हो खाली॥

जो नही मूठी भरी तो क्या हुआ।
जो मरे धन के लिये वह बेल है॥
किस लिये हम मन भला मैला कर।
धन हमारे हाथ का ही मैल है॥

है किसी काम का न लाख टका।
रख सके जो न ध्यान चित पट का॥
क्यों न बन जाँयगे टके के हम।
दिल टका पर अगर रहा अटका॥