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चोखे चौपदे

टूटता है पहाड़ पग छोड़े।
बल नही घट सका घटाने से॥
क्या करे बेतरह गया है नट।
हाथ हटता नही हटाने से॥

तब हुई साध, दोस्ती की क्या।
जब न जी ठीक ठीक सध पाया॥
तब बॅधी प्रीति गांठ बांधे क्या।
जब गले से गला न बॅध पाया॥

आप के है, रहे कही पर हम।
क्या हुआ रह सके न पास खड़े॥
याद दिल में बनी रहे मेरी।
दूर दिल से करें न दूर पड़े॥

निवेदन

हम सदा फूले फले देखें सुदिन।
पर उतारा जाय कोई सर नहीं॥
हो कलेजा तर रहे तर आँख भी।
पर लहू से हाथ होवे तर नहीं॥