पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२१४

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निराले नगीने

एक से मा बाप के है उर नहा।
एक सी उन मे न है हित की तहे॥
है अगर वह फल तो यह फेन है।
मोम उस को औ इसे माखन कहे॥

जनमने का एक ही रज-बीज से।
कौन से सिर पर गया सेहरा धरा॥
एक भाई का कलेजा छोड़ कर।
है कलेजा कौन सा भायप भरा॥

प्यार की जिस मे न प्यारी गध है।
वह कमल जैसा खिला तो क्या खिला॥
चाहना उस से भलाई भूल है।
जिस कलेजे में न भाईपन मिला॥

प्यार का दिल क्यों न तो हिल जायगा।
भाइयों से जो न भाई हो हिले॥
तो मिलाने से मिलें क्यों दूसरे।
जो न टुकड़े हों कलेजे के मिले॥