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चोखे चौपदे

लाभ-पुट से लुभावनापन ले।
रग है लाल प्यार लोहू का॥
लालसा से लसे हितों का थल।
है कलेजा किसी पतोहू का॥

है उसी मे पूतपन को रगतें।
हित रसों का है वही सुन्दर घड़ा॥
प्यार उस का ही दुलारा है बहुत।
है कलेजा पूत का प्यारा बड़ा॥

बाप-मा-मान का हुआ अनमल।
हित हुआ चूर, सुख गया दलमल॥
पा सका प्यार पल न कल जिस से।
है कलेजा कपूत का वह कल॥

अब लोहा हुआ हुनर सोना।
छू जिसे रिस हुआ अछूता रस॥
पाक है लोक-प्यार से पुर है।
है कलेजा सपूत का पारस॥