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चोखे चौपदे

क्यों लग पूछने-किसी बद ने।
नेक को बेतरह लताड़ा क्या॥
हाथ है फूल पर सितम ढाता।
फूल ने हाथ का बिगाड़ा क्या॥

कब रहा नोचता न कोमल दल।
कब न कर फलबिहीन कल पाया॥
हाथ-खल इन अबोल फूलों पर।
मल मसल कब नही बला लाया॥

फूल सा सुन्दर फबीला औ फलद।
क्यों बँधे छिद बिध गये पामाल हो॥
आग-माला के बनाने मे लगे।
हाथ-माली क्यों न मालामाल हो॥

वह तुझे भी निहाल करता है।
और तू क्या व तेरी नीयत क्या॥
फूल में ही मुलायमीयत है।
हाथ तेरी मुलायमीयत क्या॥