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चोखे चौपदे

जाति का दिल हो अगर काला हुआ।
रग काला किस तरह तो छूटता॥
फूट जाये आँख जो है फूटती।
टूट जाये दिल अगर है टूटता॥

रोटियां छीन छीन औरों की।
क्यों बड़े चाव साथ है चखता॥
मिल सका पेट क्या तुझी को है।
दूसरा पेट क्या नही रखता॥


जाति के कलंक

निघरघट

कर सकेगा नही निघरघटपन।
जिस किसी में न लाज औ डर हो॥
जब बड़ों की बराबरी की तो।
आँख कैसे भला बराबर हो॥