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चोखे चौपदे

भर सके हो नही, भरे पर भी।
कब नही हर तरह भरे जाते॥
पट सके हो न पाटने पर भी।
पेट तुम से निपट नही पाते।।

बेचारा बाप

भाग पलटे पलट गया वह भी।
बासमझ औ बहुत भला जो था।।
आज वह सामना लगा करने।
ऑख के सामने पला जो था॥

प्यार का प्याला पिला पाला जिसे।
हाथ से उस के बहुत से दुख सहे।।
कर रहा है छेद छाती में वही।
हम जिसे छाती तले रखते रहे।।

मानते जिस को बहुत ही हम रहे।
मानता है क्यों न वह मेरा कहा॥
किस लिये वह मूँग छाती पर दले।
जो मदा छाती तले मेरी रहा॥