पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२५३

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तरह तरह की बातें

सुन जिसे मनचले बहँक जावें।
मन करे बार बार मनमाना॥
क्यों नही वह बिगड़ बिगड़ जाता।
दे भली रुचि बिगाड़ जो गाना॥

कान से सुन गीत पापों के लिये।
जो न पापी आँख से आँसू छना॥
बंग लोगों का बना उस से न जो।
तब अगर गाना बना तो क्या बना।।

कंठ मीठा न मोह ले हम को।
है बुरा राग-रग का बाना॥
सुन जिसे गाँठ का गँवा देवें।
है भला गठ सके न वह गाना॥

जो बुरे भाव भर दिलों में दे।
कर उन्हें बार बार बेगाना।।
सुन जिसे पथ सुपथ से उखड़ें।
क्यों नहीं वह उखड़ गया गाना॥