पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
२५२
चोखे चौपदे


आम बौरे बही बयार बसी।
सज लताये हरी भरी डोली॥
बोल बाला बसत का होते।
खिल उठी बेलि, कोयले बोली॥

भॉवरें बार बार भर भौरे।
फूल को देख कर फबन भूले॥
कोपलें देख कोयले कूकी।
दिल-कमल खिल गया कमल फूले॥

हैं निराली रंगतें दिखला रहीं।
सेत कलियाँ, लाल नीली कोपलें॥
फूल नाना रग के, पत्ते हरे।
भौंर काले और काली कोयलें॥

हैं लुभाती दिल भला किस का नही।
लहलहाती बेलि फूलों की महँक॥
गूँज भौंरों को, तितलियों की अदा।
कोयलों की कूज, चिड़ियों की चहक॥