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बहारदार बातें


हैं फबे आज बेल बुटे भी।
झाड़ियों पर लसी लुनाई है॥
दूब पर है अजब छटा छाई।
फूल ला घास रंग लाई है।।

आज है और रग कॉटों का।
फूल है अंग बन गये जिन के॥
कुछ अजब ढग का हरापन पा।
हो गये है हरे भरे तिनके ॥

चाँद मे है भर गई चोखी चमक।
चाँदनी में है भरी चाही तरी॥
है फलों में भर गई प्यारी फबन।
फूल मे हैं रगतें न्यारी भरी॥

बसंत के पौधे

कोंपलों से नये नये दल से।
है फबन से निहाल कर देते॥
हो गये हैं लुभावने पौधे।
फूल है दिल लुभा लुभा लेते॥