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चोखे चौपदे
है सभी पेड़ कोंपलों से पुर।
है नया रस गया सबों मे भर।।
आम सिरमौर बन गया सब का।
मौर का मौर बॉध कर सिर पर॥
लस रही है पलास पर लाली।
या घिरी लालरी बबूलों से॥
है लुभाते किसे नही सेमल।
लाल हो लाल लाल फूलों से।
लह बड़ी ही लुभावनी रगत।
फूल कचनार औ अनार उठे॥
फूल पाकर बहार मे प्यारे।
हो बहुत ही बहारदार उठे।।
पा गये पर बहार सा मौसिम।
क्यों न अपनी बहार दिखला ले॥
लहलही बेलि, चहचहे खग के।
डहडहे पेड़, डहडही डालें॥