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चोखे चौपदे

पेड़ प्यारे पलास सेमल के।
फूल पा लाल, लाल लाल हुए।।
है बहुत ही लुभावने लगते।
लाल दल से लसे हुए महुए॥

पाकरों औ बरगदों के लाल दल।
कम लुनाई से न मालामाल है॥
है हरे दल में बहुत लगते भले।
डालियों की गोदियों के लाल है॥

छा गई है बड़ी छटा उन पर।
बन गये है बहार के छत्ते॥
है लुनाई विजय फरहरे से।
छरहरे पेड़ के हरे पत्ते॥

हो गये है कुछ हरे, कुछ लाल हैं।
कुछ गुलाबी रंग से हैं लस रहे॥
श्राम के दल रंगतें अपनी बदल।
बाँध कर दल हैं दिलों में बस रहे॥