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चोखे चौपदे

पेड़ सब है कोपलो से लस रहे।
है लुनाई बेल, बाँस, बबूल पर॥
है लता पर, बेलि पर छाई छटा।
है फबन फैली फलों पर, फूल पर॥

तन, नयन, मन सुखी बनाते है।
पेड़ के दल हरे हरे हिल कर॥
बास से बस बसत की ब्हैर।
फूल की धूल धूल से मिल कर।।

रस भरा एक एक पत्ता है।
आज किस का न रस बना सरबस॥
फूल से ही न रस बरसता है।
फल पर भी बरस रहा है रस॥

कर दिलों का लहू लहू डूबे।
छुरे पूच पालिसी के हैं।।
या खिले लाल फूल टेसू के।
या कलेजे छिले किसी के है।।