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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२७१

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चोखे चौपदे

हैं रहे घूम घूम रस लेते।
घूम से झूम झूम आते है॥
देह-सुध भूल भूल कर भौंरे।
फूल को चूम चूम जाते हैं।।

गूँजते हैं, ललक लपटते है।
है दिखाते बने हुए बौरे।
कर रहे है नही रसिकता कम।
रसभरे फूल के रसिक भौरे॥

चौगुने चाव साथ रस पी पी।
झोर वह ठौर ठौर करती है।।
आँख भर देख दख फूल फबन।
भाँवरें भौर भीर भरती है।।

हम और तुम

हम तुमारे लिये रहें फिरते।
आँख तुम ने न आज तक फेरी॥
हम तुमें चाहते रहेंगे ही।
चाह चाहे तुमें न हो मेरी॥