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केसर की क्यारी


तष रहे किस लिये भले बनते ।
जब भली बात ही नही सीखी ॥
भूल कर चाहिये नही कहना ।
बात कड़वी, कड़ी, बुरी, तीखी ॥

बात कह कर कसर-मरी ऐंठी ।
हो गई बार बार बरबादी ॥
बेसधा काम साध देती है ।
बात सीधी, सधी हुई, सादी ॥

रस न उन का अमर रहे उन मे ।
तो बनें बोलियां सभी सीठी ॥
है लुभाती भला नही किस को ।
बात प्यारी, लुभावनी, मीठी ॥

है बड़ा ही कमाल कर देती ।
है सुरुचि-भाल के लिये रोली ॥
नीव सारी भलाइयों की है ।
बात सच्ची, जँची, भली, भाली ॥