पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/५२

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अछूते फूल

फूल में कीट, चॉद में धब्बे।
भाग में धूम,दीप में काजल॥
मैल जल मे, मलीनता मन में।
देख किस का गया नही दिल मल॥

है बुरा, घास-फूस-वाला घर।
मल भरा तन, गरल भरा प्याला॥
रिस भरी ऑख, सर भरा सौदा।
मन भरा मैल, दिल कसर वाला॥

है कहाँ गोद तो भरी पूरी।
जो सकी गोद मे न लाल सुला॥
क्या मिला पूत जो सपूत नहीं।
क्या खुली कोख जो न भाग खुला॥

क्या रहा ताल तब भरा जल से।
जब कि उस में रहा कमल न खिला॥
क्या फली डाल जो सुफल न फली।
क्या खुली कोख जो न लाल मिला॥