ग्रंथ में वे अनावश्यक प्रतीत होते । एक हो मुहाविरे पर
दो दो तीन तीन कवितायें भी कभी कभी लिख गई हैं, ग्रंथ की कलेवरवृद्धि के विचार से ऐसी कविताओं में से केवल एक कविता मुख्य प्रथ में रखी गई है, शेष इस ग्रंथ में सगृहोत हैं।
प्रत्येक भाषा के लिये स्थायी साहित्य की आव-श्यकता होती है। जो विचार व्यापक और उदात्त होते हैं, जिन का सम्बन्ध मानवीय महत्त्व अथवा सदा-चार से होता है, जो चरित्रगठन और उल की
चरितार्थता के सम्बल होते हैं, जिन भावों का परम्परागत सम्बन्ध किसी जाति की सभ्यता और आदर्श से होता है, जो उद्गार हमारे तमोमय मार्ग के आलोक बनते हैं, उन का वर्णन अथवा निरूपण
जिन रचनाओं अथवा कविताओं में होता है, वे रखना और उक्तियां स्थायिनी होती हैं । इस लिये जिस साहित्य में वे संगृहीत होती हैं, वह साहित्य स्थायी माना जाता है। सामयिक साहित्य यह है, जिस में तत्कालिक घात प्रतिघात और घटित