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छाया
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मालुम होता है कि बादशाह-बेगम का कुछ दिमाग बिगड़ गया है, नहीं तो इस बेशर्मी के साथ इस जगह पर न आतीं । तुम्हें इनकी हिफाजत करनी चाहिये ।

जहांनारा---और औरंगजेब के दिमाग को क्या हुआ है जो वह अपने बाप के साथ इस बेअदबी से पेश आया......

अभी इतना उसके मेंह से निकला ही था कि शाहजादे ने फुरती से उसके हाथ से कटार निकाल लिया और कहा---मै अदब के साथ कहता हूँ कि आप महल मे चलें, नही तो.....

जहाँनारा से यह देखकर न रहा गया । रमणी-सुलभ वीर्य और और अस्त्र, क्रन्दन और अशु का प्रयोग उसने किया और गिड़- गिड़ाकर औरंगजेब से बोली---क्यों औरंगजेब ! तुमको कुछ भी दया नहीं है ?

औरंगजेब ने कहा---दया क्यों नहीं है बादशाह-बेगम ! दारा जैसे तुम्हारा भाई था, वैसा ही मै भी तो भाई ही था, फिर तरफदारी क्यों ?

जहांनारा---वह तो बाप का तख्त नहीं लिया चाहता था,उनके हुक्म से सल्तनत का काम चलाता था।

औरंगजेब---तो क्या मैं वह काम नहीं कर सकता ?अच्छा,बहस की जरूरत नहीं है । बेगम को चाहिये कि वह महल में जायें।

जहांनारा कातर दृष्टि से वृद्ध मुर्छित पिता को देखती हुई शाहजादे की बताई राह से जाने लगी।

यमुना के किनारे के एक महल में शाहजहां पलंग पर पड़ा है, और जहांनारा उसके सिरहाने बैठी हुई है।

जहांनारा से जब औरंगजेब ने पूछा कि वह कहां रहना चाहती तब उसने केवल अपने वृद्ध और हतभागे पिता के साथ रहना