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शरणागत
 


विल्फर्ड---अब हमको कुछ डर नहीं है।

किशोर सिंह---आपने क्या सोचा ?

विल्फर्ड---अब ये सब अपने भाइयों को लूटते है, तो शीघ्र ही अपने अत्याचार का फल पावेंगे और इनका किया कुछ न होगा।

किशोर सिंह ने गम्भीर होकर कहा---ठीक है।

एलिस ने कहा--में आज आप लोगों के संग भोजन करूँगी।

किशोर सिंह और सुकुमारी एक दूसरे का मुख देखने लगे। फिर किशोर सिंह ने कहा---बहुत अच्छा ।

साफ दालान में दो कम्बल अलग-अलग दूरी पर बिछा दिये गये है। एक पर किशोर सिंह बैठे थे और दूसरे पर विल्फर्ड और एलिस; पर एलिस की दृष्टि बार-बार सुकुमारी को खोज रही थी, और वह बार-बार यही सोच रही थी कि किशोर सिंह के साथ सुकुमारी अभी नहीं बैठी ।

थोड़ी देर मे भोजन आया, पर खानसामा नहीं । स्वयं सुकुमारी एक थाल लिये है और तीन-चार औरतों के हाथ में भी खाद्य और पेय वस्तुएँ है । किशोर सिंह के इशारा करने पर सुकुमारी ने वह थाल एलिस के सामने रखा, और इसी तरह विल्फर्ड और किशोर सिंह को परस दिया गया। पर किसी ने भोजन करना नही आरम्भ किया ।

एलिस ने सुकुमारी से कहा---आप क्या यहां भी न बैठेंगी ? क्या यहां भी कुर्सी है ?

सुकुमारी-परसेगा कौन?

एलिस-खानसामा ।

सुकुमारी-क्यों, ? क्या मैं नहीं हूँ? किशोर सिंह--जिद न कीजिये, यह हमारे भोजन कर लेने पर भोजन करती है।