पृष्ठ:जगद्विनोद.djvu/१२

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(१२) जगद्विनोद। अथ मध्याधीराका उदाहरण । कबित्त--पीतमके संगही उमंगि उड़ि जैबे कोन एती अगा अगनपरद पखियां दई । कहै पदमाकर जे आरती उतारै चमरौर, श्रमहारै पै न ऐसी सखियां दई ॥ देखि दृग द्वैही सों न नेकहूं अघैये इन, ऐसे झुका झुकमें झपाक भाखयां दई । कीजै कह राम श्याम आनन विलोकिको, विरचि विरंचिते अनंत अँखियां दई ॥५५॥ पुनर्यथा-सवैया ॥ भाल पे लाल गुलाल गुलालसों गरिंगरेगजरा अलबेलो यों वनि वानिकसों पदमाकर आये जु खेलन फाग तौ खेलो ॥ पै इक या छबि देखिबेके लिये मो विनतीकै न झोरिन झेलो । राउरे रंगरंगी अखियानमें ये बलबीर अबीर न मेलो ॥ ५६ ॥ दाहा--जो जियमें सो जीभमें, रगन रावरे ठोर । आज काल्हिके नरनके, जीभ न कछु जिय और करै अनादर कन्स को, प्रकट जनावै कोप । मध्य अधीरा नायका, ताहि कहत करि बोप ॥ अथ मध्यअधीरा नायकाका उदाहरण कबिन-भूले से भ्रमे से काहि शोचत भमे से, अकुलाने के ठिकानेसे ठगे से मेक-बाये १ 7 .