पृष्ठ:जयशंकर प्रसाद की श्रेष्ठ कहानियाँ.pdf/११९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

________________

करते हुए सामने नारियल-कुंज की हरियाली में घुस रहे थे। उसे अपना ताड़ीखाना स्मरण हो आया। उसने अण्डों को बटोर लिया। बुढ़िया 'हाँ, हाँ' करती ही रह गयी, वह चला गया। दुकानवाली ने अंगूठे और तर्जनी से दोनों आँखों का कीचड़ साफ किया और फिर मिट्टी के पात्र से जल लेकर मुँह धोया। बहुत सोच-विचारकर अधिक उतरा हुआ एक केला उसने छीलकर अपनी अंजलि में रख उसे मन्दिर की ओर नैवेद्य लगाने के लिए बढ़ाकर आँखें बन्द कर लीं। भगवान ने उस अछूत का नैवेद्य ग्रहण किया या नहीं, कौन जाने; किन्तु बुढ़िया ने उसे प्रसाद समझकर ही ग्रहण किया। अपनी दुकान झोली में समेटे हुए, जिस कुंज में कौए घुसे थे, उसी में वह भी घुसी। पुआल से छायी हुई टट्टरों की झोंपड़ी में विश्राम किया। उसकी स्थावर सम्पत्ति में वही नारियल का कुंज, चार पेड़ पपीते और छोटी-सी पोखरी के किनारे पर के कुछ केले के वृक्ष थे। उसकी पोखरी में छोटा-सा झुण्ड बत्तखों का भी था, जो अण्डे देकर बुढ़िया की आय में वृद्धि करता। राधे अत्यन्त मद्यप था। उसकी स्त्री ने उसे बहुत दिन हुए छोड़ दिया था। बुढ़िया को भगवान का भरोसा था, उसी देव-मन्दिर के भगवान का, जिसमें वह कभी नहीं जाने पायी थी! अभी वह विश्राम की झपकी ही लेती थी कि महन्त के जमादार कुंज ने कड़े स्वर में पुकारा–'राधे, अरे रधवा, बोलता क्यों नहीं रे!' । बुढ़िया ने आकर हाथ जोड़ते हुए कहा-'क्या है महाराज?' 'सुना है कि कल तेरा लड़का कुछ अछूतों के साथ मन्दिर में घुसकर दर्शन करने जाएगा?' ___ 'नहीं, नहीं, कौन कहता है महाराज! वह शराबी, भला मन्दिर में उसे कब से भक्ति हुई है?' 'नहीं, मैं तुझसे कहे देता हूँ, अपनी खोपड़ी सँभालकर रखने के लिए उसे समझा देना। नहीं तो तेरी और उसकी; दोनों की दुर्दशा हो जाएगी।' राधे ने पीछे से आते हुए क्रूर स्वर में कहा—'जाऊँगा, वह क्या तेरे बाप के भगवान हैं। तू होता कौन है रे!' 'अरे, चुप रे राधे! ऐसा भी कोई कहता है रे! अरे, तू जायेगा, मन्दिर में? भगवान का कोप कैसे रोकेगा रे?' बुढ़िया गिड़गिड़ाकर कहने लगी। कुंजबिहारी जमादार ने राधे की लाठी देखते ही ढीली बोल दी। उसने कहा-'जाना राधे कल, देखा जायेगा।'-जमादार धीरे-धीरे खिसकने लगा। ___ 'अकेले-अकेले बैठकर भोग-प्रसाद खाते-खाते बच्चू लोगों को चरबी चढ़ गई है। दरशन नहीं रे-तेरा भात छीनकर खाऊँगा। देलूँगा, कौन रोकता है।'-राधे गुर्राने लगा।