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जहांगीर बादशाह संवत् १६६४।

यूनानी हकीम जालीनूसको वंशमें बताता था। ईरानके शाह तुह- मासने इसके विषय में कहा था कि अच्छा हकीम है आओ हम सब बीमार होजावें।

२४ जमादिउलअब्बल (आश्विन बदी १२) को बागवफा और नीमलेको बीच में शिकार हुआ।

२ जमादिउस्मानी (आश्विन सुदी ३) को बागवफामें डेरे हुए।

अरसलांवेग उजबक जो अबदुल मोमिनखांके अमीरोंमेंसे किले काहमर्दका हाकिम था किला छोड़कर बादशाहको सेवामें हाजिर आया।

४ जमादिउत्सानी (आश्विन सुदी ५) को जलालाबादके हाकिम इज्जतखांको हाकेके शिकारका बन्दोबस्त करनेके वास्ते हुक्म दिया गया। तीन सौ जानवर शिकार हुए। गर्मी बहुत होने से अच्छे अच्छे शिकारी कुत्ते मर गये।

१२ (आश्विन सुदी १४) गुरुवार(१) को सराय अकोरामें डेरे हुए। शाह बेगखां हाकिम कन्धारने आकर मुजरा किया।

१४ शनिवार(२) (कार्त्तिक बदी १) को बादशाहने उड़ीसेकी सूबेदारी दी।

मिरजा बदीउज्जमान।

इसी दिनको यह खबर आई कि मिरजा शाह रूखका बेटा बदीउज्जमान मालवेसे भागकर रानाके पास जाता था परन्तु वहांके हाकिम अबदुल्लहखांने पीछा करके पकड़ लिया और उसके कई साथियोंको मार डाला। बादशाहने हुक्म दिया कि एहतमाम खां आगरेसे जाकर मिरजाको हजूरमें ले आवे ।

तूरान।

२५ (कार्तिक बदी १२) को खबर पहुंची कि वलीमुहम्मदखांके


(१) मूलमें शनि भूलसे लिखा है।

(२) मूलमें चन्द्र भूलसे लिखा है।