पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१३२

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जहांगीरनामा।

रानाकी लड़ाई।

बादशाहने महाबतखांको कई कामोंकी सलाहके वास्ते बुला कर उसकी जगह अबदुल्लहखांको उस लशकरका अफसर किया जो रानाके ऊपर भेजा गया था और उसको फौरोज जंगका खिताब भी दिया। बखशी अबदुर्रज्जाकको सब मनसबदारोंसे यह कहला देने के लिये भेजा कि फीरोजजंगकी आज्ञा भंग न करें और उसके अच्छे बुरे कहने में अपना भला बुरा समझें।

दूध देनेवाला बकरा।

४ जमादिउलअव्वल (सावन सुदी ६) को चरवाहे एक खस्सी बकरा लाये जिसके थन बकरीकेसे थे और वह प्रतिदिन एक प्याला दूध देता था।

सूरतकी हुकूमत।

६ (सावन सुदी ७) को बादशाहने खानआजमके बेटे खुर्रमको दो हजारी जात और पांचसौ सवारका मनसब देकर सूरतकी हुकूमत पर भेजा जो जूनागढ़के नामसे प्रसिद्ध है।

राजा मानसिंह।

१६ (भादों बदी २) को तलवारका जड़ाऊ परतला राजा मान सिंहके वास्ते भेजा गया।

दक्षिण।

१६ (भादों बदी ९) को बादशाहने २० लाख रुपये उस लश- करके खर्चके वास्ते जो परवेजकी अफसरीमें तय्यार हुआ था एक अलग खजानचीको सौंपे और पांच लाख रुपये परवेजके खर्चके लिये भी दिये।

१ जमादिउस्मानी (भादों सुदी २) को अमीरूल्लउमरा भी उसी लशकरमें नियुक्त हुआ और उसको खिलअत और घोड़ा दिया गया।

जगन्नाथका बेटा करमचन्द भी दो हजारी जात और डेढ़ हजार सवारका मनसब पाकर परवेजके साथकी सेनामें शामिल हुआ।